हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने से इंकार क्यों किया?

लेखक हिंदू होकर भी एक मुसलमान के होटल में खाना खाया था। इस बात पर हामिद खां को गर्व हो रहा था। वे लेखक को अपना अतिथि मान रहे थे किंतु लेखक दुकानदार होने के कारण हामिद खां को पैसे देना चाहते थे। हामिद खां ने संकोच करते हुए पैसे लिए और फिर वापस कर दिए और तब हामिद खां बोले ये पैसे आप अपने पास ही रखिए और जब वापस अपने वतन जाएँ और किसी मुस्लिम व्यक्ति के होटल पर पुलाव खाएं खायेंगे तो आपको यहाँ की मेहमाननवाजी याद आ जायेगी| हामिद खां एक हिन्दू के सम्मानपूर्वक एक मुस्लिम के होटल में खाने से बहुत प्रभावित थे और इसीलिये उन्होंने उनके पैसे वापस कर दिए|


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